Shani Chalisa In Hindi Lyrics

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 Shani Chalisa In Hindi Lyrics


 दोहा Shani Chalisa जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल। दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥ जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज। करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥

अर्थ – हे गिरिजासूत गणेश! आपकी जय हो! आप मंगलकरता एवं कृपा करने वाले है। हे नाथ! दिनों के दुख दूर करके उन्हें प्रसन्नता प्रदान करें !
हे प्रभु शनिदेव! आपकी जय हो! हे सूर्यसुत! आप मेरी विनय सुनकर कृपा कीजिए और लोगो की लज्जा की रक्षा कीजिए !

Shani Chalisa
Shani Chalisa


Shani Chalisa चौपाई 

जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला !
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छबि छाजै !!

अर्थ – हे दयासिंधु शनिदेव! आपकी जय हो! जय हो! आप सदैव भक्तों की पालना करते हैं !
आपकी चार भुजाएं हैं, शरीर पर श्यामलता शोभा दे रही है, मस्तक पर रत्न-जड़ित मुकुट आभायमान है !

परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला !
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिय माल मुक्तन मणि दमके !!

अर्थ – आपका मस्तक विशाल एवं मन को मोहने वाला है। आपकी दृष्टि टेढ़ी (वक्र) और भौंहें विकराल हैं !
आपके कानों में कुंडल चमक रहे हैं तथा छाती पर मोतियों तथा मणियों की माला शोभायमान है !

कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करैं अरिहिं संहारा !
पिंगल, कृष्णों, छाया नन्दन। यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन !!

अर्थ – आपके हाथों में गदा, त्रिशूल और कुठार शोभा दे रहे हैं। आप पलभर में ही शत्रुओं का संहार कर देते हैं !
आप दुखों का विनाश करने वाले पिंगल, कृष्ण, छायानंदन, यम, कोणस्थ और रौद्र हैं !

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा !
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं। रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं !!

अर्थ – सौरि, मंद, शनि और सूर्यपुत्र आदि आपके दस नाम हैं। इन नामों का जाप करने से सभी कामनाएँ पूर्ण होती हैं !
हे प्रभु! आप जिस पर प्रसन्न हो जाएं उस निर्धन को पलक झपकते राजा बना देते हैं !

पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत !
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो। कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो !!

अर्थ – आपकी दृष्टि पड़ते ही पर्वत तिनके जैसा हो जाता है तथा आप चाहें तो तिनके को भी पर्वत बना सकते हैं !
जब श्रीराम का राज्याभिषेक होने जा रहा था, तब आपने कैकयी की मति भ्रस्ट कर प्रभु राम को वन में भेज दिया !

बनहूँ में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चुराई !
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा !!

अर्थ – आपने ही वन में माया-मृग(सोने का हिरण) की रचना की थी जो सीता माता के अपहरण का कारण बना !
शक्ति प्रहार से आपने लक्ष्मण को व्यथित कर दिया तो उससे श्रीराम की सेना में चिंता की लहर दौर गयी थी !

रावण की गतिमति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई !
दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका !!

अर्थ – आपने रावण जैसे महापंडित की बुद्धि कुंठित कर दी थी, इसी कारण वह श्रीराम से बैर मोल ले बैठा !
सोने की लंका को आपने मिट्टी में मिलाकर तहस-नहस कर दिया और हनुमान जी के गौरव में वृद्धि की !

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा !
हार नौलखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवाय तोरी !!

अर्थ – राजा विक्रमादित्य पर जब आपकी दशा आई तो दीवार पर टंगा मोर का चित्र रानी का हार निगल गया !
उस नौलखा हार की चोरी का आरोप विकामदित्य पर लगने के कारण उसे अपने हाथ-पैर तुड़वाने पड़े थे !

भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो !
विनय राग दीपक महं कीन्हयों। तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों !!

अर्थ – विक्रमादित्य की दशा इतनी निकृष्ट हो गयी कि उन्हे तेली के घर में कोल्हू तक चलाना पड़ा !
जब उन्होने राग दीपक में आपसे विनती की, तब आपने प्रसन्न होकर उन्हे पुनः सुख प्रदान कर दिया !

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी !
तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजीमीन कूद गई पानी !!

अर्थ – जब आपकी कुदृष्टि राजा हरिश्चंद्र पर पड़ी तो उन्हें अपनी पत्नी को बेचना पड़ा और डोम के घर पानी भरना पड़ा !
राजा नल पर जब आपकी टेढ़ी दृष्टि पड़ी तो भुनी हुई मछली भी पानी में कूद गयी !

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई। पारवती को सती कराई !
तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा !!

अर्थ – भगवान शंकर पर आपकी वक्र दृष्टि पड़ी तो उनकी पत्नी पार्वती को हवन कुंड में जलकर भस्म होना पड़ा !
गौरी-पुत्र गणेश को अल्प क्रोधित दृष्टि से जब आपने देखा तो उनका सिर कटकर आकाश में उड़ गया !

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रौपदी होति उघारी !
कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो !!

अर्थ – जब पांडु पुत्रों (पांडव) पर आपकी दशा आई तो भरी सभा में उनकी पत्नी द्रौपदी का चीर-हरण हुआ !
आपने कौरवों की बुद्धि का हरण किया जिससे विवेकहीन होकर वे महाभारत का भयंकर युद्ध कर बैठे !

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला !
शेष देवलखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ाई !!

अर्थ – देखते-ही-देखते सूर्यदेव को अपने मुख में डालकर आप पाताल लोक को प्रस्थान कर गए !
जब सभी देवताओं ने आपसे विनय की, तब आपने सूर्य को अपने मुख से बाहर निकाला !

वाहन प्रभु के सात सजाना। जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना !
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।सो फल ज्योतिष कहत पुकारी !!

अर्थ – यह सर्वविदित है कि आपके पास सात प्रकार के वाहन हैं- हाथी, घोडा, हिरण, कुत्ता, गधा !
सियार और शेर। इन सभी वाहनों के फल विभिन्न ज्योतिषियों द्वारा अलग-अलग बताए गए हैं !

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पति उपजावैं !
गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा !!

अर्थ – हाथी यदि वाहन हो तो घर में लक्ष्मी का आगमन होता है और घोड़े के वाहन से घर में सुख-संपत्ति बढ़ती है !
गधा वाहन हो तो हानि तथा सारे काम बिगड़ जाते हैं। सिंह की सवारी से राज-समाज में सिद्धि की प्राप्ति होती है !

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै !
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी !!

अर्थ – सियार यदि वाहन हो तो बुद्धि नष्ट होती है और मृग वाहन दुख देकर प्राणों का संहार आर देता है !
जब प्रभु कुत्ते को वाहन बनाकर आते हैं,तब चोरी आदि होती है, साथ ही भय भी बना रहता है !

तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा !
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं !!

अर्थ – इसी प्रकार शिशु का चरण (पैर) देखा जाता है। यह 4 प्रकार (सोना, चाँदी, लोहा तथा तांबा) के होते हैं !
जब प्रभु लोहे के चरण पर आते हैं, तब धन, जन और संपत्ति आदि सबकुछ विनष्ट कर देते हैं !

समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी !
जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै !!

अर्थ – तांबे और चाँदी के पैर समान शुभकारी हैं। परंतु सोने का पैर सभी सुख प्रदान करके सर्वथा मंगलकारी है !
जो भी व्यक्ति इस शनि-चरित का नित्य पाठ करता है उसे बुरी दशा कभी नहीं सताती !

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला !
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई !!

अर्थ – प्रभु हैरान कर देने वाली लीलाएं दिखाते हैं और शत्रुओं का बल नष्ट कर देते हैं !
जो कोई भी योग्य पंडित को बुलवाकर शनि ग्रह की शांति करवाता है !

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत !
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा !!

अर्थ – शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष को जल अर्पित कर दीया जलाता है उसे अनेक प्रकार के सुख मिलते हैं !
प्रभु सेवक रामसुंदरजी कहते हैं कि शनिदेव का ध्यान करते ही सुख-रूपी प्रकाश फैल जाता है !

Shani Chalisa दोहा
पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार !
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार !!

अर्थ – भक्त द्वारा तैयार इस शनि देव चालीसा का चालीस दिन तक पाठ करने से भवसागर पार किया जा सकता है !
!! श्री Shani Chalisa लिरिक्स अर्थ सहित !!




Shani Chalisa चौपाई

जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला !
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छबि छाजै !!
परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला !

कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करैं अरिहिं संहारा !
पिंगल, कृष्णों, छाया नन्दन। यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन !!
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा !
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं। रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं !!

पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत !
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो। कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो !!
बनहूँ में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चुराई !
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा !!

रावण की गतिमति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई !
दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका !!
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा !
हार नौलखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवाय तोरी !!

भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो !
विनय राग दीपक महं कीन्हयों। तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों !!
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी !
तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजीमीन कूद गई पानी !!

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई। पारवती को सती कराई !
तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा !!
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रौपदी होति उघारी !
कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो !!

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला !
शेष देवलखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ाई !!
वाहन प्रभु के सात सजाना। जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना !
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।सो फल ज्योतिष कहत पुकारी !!

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पति उपजावैं !
गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा !!
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै !
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी !!

तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा !
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं !!
समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी !
जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै !!

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला !
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई !!
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत !
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा !!

दोहा
पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार !
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार !!
!! श्री शनि चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित !!


Shri Shani Chalisa Lyrics In English (श्री शनि चालीसा लिरिक्स पाठ)

Shani Chalisa Doha
Jai Ganesh Girija Suvan Mangal Karan Kripal !
Denan Ke Dukh Door Kari Kijei Nath Nihal !!
Jai Jai Shri Shanidev Prabhu Sunahu Vinae Maharaj !
Karu Kripa He Ravi Tanae Rakhhu Jan Ki Laj !!

Shani Chalisa Chaupai
Jayati Jayati Shanidev Deyala Karat Sada Bhagatan Pratipala !
Chari Bhuja, Tanu Sham Viraje Mathe Ratan Mukut Chhavi Chaje !!
Param Vishal Manohar Bhala Tedhi Drishti Bhrkuti Vikarala !
Kundal Shravan Chamacham Chamake Hiye Maal Muktan Mani Damke !!

Kar Me Gada Trishul Kuthara Pal Bich Kare Arihi Sahara.Pingal !
Krishno, Chhaaya, Nandan, Yam Konsth, Raudra, Dukh Bhanjan.Sauri !!
Mand Shani, Dash Nama Bhanu Putra Pujahe Sab Kama !
Japar Prabhu Prasann Have Jahi Rankhu Raav Kare shann Maahi !!

Parvathu Trun Hoi Niharat Trinahu Ko Parvat Kari Darat !
Raaj Milat Vann Ramahi Dinho Kaikeihu Ki Mati Hari Linho !!
Vanhu Me Mrig Kapat Dikhai Matu Janki Gai Churai !
Lashanahi Shakti Vikal Karidara Machiga Dal Me Hahakara !!

Ravan Ki Gati-Mati Baurai Ramachandra So Bair Badhai !
Diyo Keet Kari Kanchan Lanka, Baji Bajarang Bir Ki Danka !!
Nrip Vikram Par Tuhi Pagu Dhara, Chitra Mayoor Nigali Gai Hara !
Haar Naulakha Lageo Chori Hath Pair Daravao Tori !!

Bhari Dasha Nikrasht Dikhao Telahi Ghar Kolhu Chalvao !
Vinae Raag Deepak Mah Kinhao Tab Prasann Prabhu Hve Sukh Dinho !!
Harishchandra Nrip Nari Bikani Aaphu Bhare Dom Ghar Pani !
Taise Nal Par Dasha Sirani Bhunji-Meen Kud Gai Pani !!
!! Shri Shani Chalisa !!

Shri Shankarahi Gaheo Jab Jai Paravati Ko Sati Karai !
Tanik Vikalokat Hi Kari Resa Nabh Udi Gato Gaurisut Seema !!
Pandav Par Bhai Dasha Tumhari Bachi Dropadi Hoti Ughari !
Kaurav Ke Bhi Gati Mati Mareyo Yudh Mahabharat Kari Dareyo !!

Ravi Kah Mukh Meh Dhari Tatkala Lekar Kudi Pareye Patala !
Shesh Dev-Lakhi Vinati Lai Ravi Ko Mukh Te Diyo Chudai !!
Vahan Prabhu Ke Saat Sujana Jag Diggaj Gardabh Mrig Svana !
Jambuk Sinh Aadi Nakh Dhari So Phal Jyotish Kehat Pukari !!

Gaj Vahan Lakshmi Greh Aave Hay Te Sukh Sampati Upjave !
Gardabh Hani Kare Bahu Kaja Singh Sidhakar Raj Samaja !!
Jambuk Budhi Nasht Kar Dare Mrig De Kasht Pran Sahare !
Jab Avahe Svan Savari Chori Aadi Hoe Dae Bhari !!

Taisi Chari Charan Yeh Nama Svarn Lauh Chandi Aru Tama !
Lauh Charan Par Jab Prabhu Aave Dhan Jan Sampati Nasht Karave !!
Samta Tamra Rajat Shubhkari Svarn Sarvasukh Mangal Bhari !
Jo Yah Shani Charitra Nit Gave Kabhu Na Dasha Nikrisht Satave !!

Adbhut Nath Dikhave Lela Kare Shatru Ke Nashi Bali Dhila !
Jo Pandit Suyogya Bulavi Vidhivat Shani Greh Shanti Krai !!
Peepal Jal Shani Divas Chadhavat Deep Daan hai Bahu Sukh !
Kehat Ram Sundar Prabhu Dasa Shani Sumirat Sukh Hot Prakasha !!

Shani Chalisa Doha
Path Shanishchar Dev Ko Ki Ho Bhagat Teyar !
Karat Path Chalis Din Ho Bhavsagar Paar !!


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